मुशकिल घड़ी में भगतसिंह के परिवार के सदस्यों को शरण देने वाले स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हबीबउररहमान लुधियानवी रहमतूल्लाह अलयही
Maulana Habibur Rahman Ludhianvi Rahmatullah Alaihi, a freedom fighter who gave shelter to the family members of Bhagat Singh in difficult times
2 सप्टेंबर -यौमे वफात
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📕 *भारत की आज़ादी की ख़ातिर मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी रहमतूल्लाह…अलयही ने शिमला, मैनवाली, धर्मशाला, मुल्तान, लुधियाना सहीत देश की विभिन्न जेलों में क़रीब 14 साल बिताए।*
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📘3 जुलाई 1892 को पंजाब के लुधियाना में पैदा हुए ,वो *लुधियाना के मशहूर मुजाहिद ए आज़ादी मौलाना शाह अब्दुल क़ादिर लुधियानवी रहमतूल्लाह अलयही के पोते हैं, जिन्होने 1857 में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ फ़तवा दिया था।*
🟡दारुल उलूम देवबंद से अपनी तालीम मुकम्मल करने के बाद मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी रहमतूल्लाह…अलयही ने मौलाना अब्दुल अज़ीज़ रहमतूल्लाह अलयही
की बेटी बीबी शफ़तुनिसा से शादी कर ली। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और खिलाफ़त आंदोलन और असहयोग आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
🔴ख़िलाफ़त तहरीक और असहयोग आंदोलन के दौरान मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी रहमतूल्लाह…अलयही ने 1 दिसंबर 1921 को अपने प्रेरक भाषण से लोगों को ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह के लिए उकसाया और पहली बार गिरफ़्तार किए गए। *तब से, उन्होंने कई बार कार कोठरी की यातनाओं का सामना किया और देश की विभिन्न जेलों में क़रीब 14 साल बिताए। उनके मित्रों और परिजनों को भी कारावास का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने भी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया था।*
🟢उनकी पत्नी बीबी शफ़तुनिसा, जो स्वंय भी एक स्वतंत्रता सेनानी थीं, ने अपने परिवार पर ब्रिटिश पुलिस के द्वारा किए गए क्रूर दमन के बावजूद उन्हें समर्थन दिया।
🔵 *जमियत-उलमा-ए-हिंद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मौलाना लुधियानवी रहमतूल्लाह अलयही ,1929 में मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद की सलाह पर मजलिस-ए-अहरार (द सोसायटी ऑफ़ फ़्रीमेन) की स्थापना की।*
🟣1929 में भगत सिंह ने केंद्रीय सभा में बम फेंके, उसके बाद से कोई भी उनके परिवार के सदस्यों को शरण देने के लिए आगे नहीं आया था क्योंकि लोगों को ब्रिटिश दमन का भय था।
🟣तब मौलाना हबीब उर रहमान *लुधियानवी रहमतूल्लाह अलयही ने भगत सिंह के परिवार के सदस्यों को एक महीने तक आश्रय प्रदान किया।*
🟡साथ ही उन्होने *नेताजी सुभाष चंद्रा बोस की भी अपने घर पर मेहमान नवाज़ी की थी।*
🟤1929 में जब ब्रिटिश अधिकारियों ने लुधियाना के घास मंडी चौक पर हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग पानी के बर्तन का इस्तेमाल किया, तो उन्हें हिंदू, मुस्लिम और सिख कार्यकर्ताओं की सहयोग से इसे ख़त्म किया, और एक पर्चा लगवाया 'सबका पानी एक है' जिसके लिए उन्हें जेल भेजा गया। उन्होंने 1931 में शाही जामा मस्जिद के पास लगभग तीन सौ ब्रिटिश अधिकारियों और पुलिस की उपस्थिति में भारतीय ध्वज को फहराया, जिसके लिए उन्हें गिरफ़्तार किया गया।
🔴भारत की आज़ादी की ख़ातिर मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी रहमतूल्लाह…अलयही ने शिमला, मैनवाली, धर्मशाला, मुल्तान, लुधियाना सहीत *देश की विभिन्न जेलों में क़रीब 14 साल बिताए।*
🟢वो आख़िर आख़िर तक पाकिस्तान बनने का विरोध करते रहे; पर जब राष्ट्र को 1947 में विभाजित किया गया था, तो उन्होंने शत्रुतापूर्ण माहौल के कारण अपने दोस्तों की सलाह पर लुधियाना छोड़ दिया और दिल्ली में शरणार्थी शिविरों में शरण ली। इससे लुधियानवी युगल को गंभीर मानसिक आघात हुआ हालांकि उन्हें पाकिस्तान जाने की सलाह दी गई थी, उन्होंने सलाह को अस्वीकार कर दिया था और अपने मूल स्थान लुधियाना में रहने को सोंचा, और वहां भी उन्हें कटु अनुभव का सामना करना पड़ा।
🔵 उनके पंडित नेहरू से तालुक़ात बहुत अच्छे रहे और आज़ादी बाद मुस्लिम दुनिया से भारत के अच्छे तालुक़ात के लिए मौलाना लुधियानवी रहमतूल्लाह…अलयही ने बहुत मेहनत की, और इसके लिए वो 1952 में साऊदी अरब गए।
🟡2 सितम्बर 1956 को अपने अंतिम क्षण तक देश और लोगों की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्धता के साथ लड़ते रहने वाले मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी (र.अ.) का निधन हो गया। उन्हे पंडित नेहरू के इलतेजा पर दिल्ली के जामा मस्जिद के पास मौजूद क़ब्रिस्तान में दफ़न किया गया।
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संदर्भ- 1) THE IMMORTALS
-- sayed naseer ahamed
2)लहू बोलता भी है
-- सय्यद शाह नवाज अहमद कादरी,कृष्ण कल्की
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संकलक लेखक तथा अनुवादक *अताउल्ला खा रफिक खा पठाण सर टूनकी तालुका संग्रामपुर जिल्हा बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726