6 जुलाई 1857 -यौम ए शहादत क्रांतिकारी मीर वारिस अली को पटना मे फांसी पर लटका दिया गया था।
6 July 1857 - Youm-e-Shahadat Revolutionary Mir Waris Ali was hanged in Patna.
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#आजादी_का_अमृत_महोत्सव
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आज मीर वारिस अली की यौम ए शहादत है, 6 जुलाई 1857 को पटना मे उन्हे फांसी पर लटका कर शहीद कर दिया गया था; मीर वारिस अली पुलिस की नौकरी करते थे; जमादार की हैसियत रखते थे; अंग्रेज़ों से बग़ावत की और फांसी पर झूल गए! पटना मे तो वारिस अली के नाम पर कुछ नही है, पर मुज़फ़्फ़रपुर में एक 'वारिस अली रोड' हुआ करता था; जो धीरे धीरे 'वरसल्ली रोड' हो गया और आज कल स्टेशन रोड में तब्दील हो चुका है!
ये हमारे लिए शर्म की बात है के शहादत के 160 साल बाद मीर वारिस अली को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिये जाने की पहल हुई है, और 2018 में उन्हे मुज़फ़्फ़रपुर ज़िला प्रशासन द्वारा स्वतंत्रता सेनानी माना गया। जबके 1909 में वीडी सावरकर ने '1857 की क्रांति' पर लिखी अपनी किताब में मीर वारिस अली का ज़िक्र किया था; के किस तरह वो 'कल्मा ए शहादत' पढ़ते हुए अपने मुल्क हिन्दुस्तान की ख़ातिर शहीद हुए!
नीचे तस्वीर में 21 जुलाई 1857 को बांकीपुर से छपी एक ख़बर है, जिसमे मीर वारिस अली के फांसी का ज़िक्र है!
बिहार ने अपने पहले शहीद मीर वारिस अली को भुला दिया है! पर कल तारीख़ है 7 जुलाई; और कल बिहार सरकार राजकीय सम्मान के साथ पटना में शहीद पीर अली ख़ान और उनके साथीयों की यौम ए शहादत के मौक़े पर एक छोटा सा कार्यक्रम का आयोजन करेगी; जिसमें उन 14 शहीदों को श्रद्धांजली दी जाएगी; जिन्हे अंग्रेज़ों से बग़ावत के जुर्म में 7 जुलाई 1857 को पटना के गांधी मैदान के पास सूली पर लटका दिया गया था।
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Source Heritage Times
md_umar_ashraf
संकलन अताउल्ला खा रफिक खा पठाण सर,
टूनकी,बुलडाणा, महाराष्ट्र