31आगस्ट -यौमे पैदायिश, स्वतंत्रता सेनानी सैय्यद हसन इमाम
31st August -Youme born, freedom fighter Syed Hasan Imam
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■ 1908 में बिहार कांग्रेस की स्थापना करने वाले,
■1912 में अलग बिहार राज्य की स्थापना करने वाले,
■1918 में सर्चलाइट अख़बार की स्थापना करने वाले,
■1918 में इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्षता करने वाले,
■1923 में League of Nations की चौथी असेम्बली मे भारत की नुमाईंदगी करने वाले जंग ए आज़ादी के अज़ीम रहनुमा सैयद हसन इमाम की आज यौम ए पैदाइश है।
दिल से खिराज ए अकिदत
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बिहार के पटना ज़िले में नेऊरा गांव में 31अगस्त सन1871 को पैदा हुए इमाम हसन के बड़े भाई सैय्यद अली इमाम जंगे आज़ादी के सिपहसालारों में से थे।
🟣शुरुआती पढ़ाई पटना से पूरी करके आप सन् 1889 में वकालत पढ़ने इंग्लैण्ड चले गये। वहां से आप इण्डियन स्टूडेंट
एसोसिएशन के करीब आये और वकालत की पढ़ाई के साथ-साथ स्टूडेंट एसोसिएशन की ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ होनेवाली मीटिंगों में भी एक्टिव रहे।
🔵सन् 1892 में हिन्दुस्तान आकर आपने पटना में प्रैक्टिस शुरू कर दी। बाद में सन् 1910 में आप कलकत्ता चले गये और वहां कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे।
🟡हसन इमाम सन् 1908 में मद्रास में हुए कांग्रेस की कांफ्रेंस में शामिल हुए और नेशनल मूवमेंट में पूरी तरह हिस्सा लेने लगे। आपने ही पटना में बिहार स्टेट स्टूडेंट कांफ्रेंस करायी,
जिसमें जंगे-आज़ादी में स्टूडेंट की तरफ़ से प्रोग्राम तय हुए।
🔴सैय्यद हसन इमाम पूरी
तरह कौमी ख्याल के थे। आपने अलग मुस्लिम इंतख़ाबी हलकों की ज़ोरदार मुखालिफत की थी। यह प्रस्ताव सन् 1911 के इलाहाबाद के कांग्रेस-कांफ्रेंस में लाया गया था।
🟢 1916 में जब पटना हाईकोर्ट की स्थापना हुई तो उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायधीश पद से इस्तीफा देकर पटना हाईकोर्ट में न्यायधीश पद की ज्वाइनिंग कर ली।
🟡1917 में उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा मान्टेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार योजना सत्र में विचार विर्मश करने के लिए आमंत्रित किया। *1918 में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया और कांग्रेस के मुम्बई विशेष अधिवेशन की अध्यक्षता की।*
🔵1919 में *खिलाफत आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। 1920 में उन्होंने पटना हाईकोर्ट के न्यायधीश पद से इस्तीफा दे दिया। 1921 में उन्हें बिहार और उड़ीसा प्रेसीडेंसी (विधान परिषद) का सदस्य चुना गया। 1923 में उन्होंने लीग ऑफ नेशंस में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व किया। 1930 में वह पटना से सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए।
🟤हसन इमाम का मानना था कि हिन्दू-मुसलमान की बुनियाद पर मुल्क हमेशा नुकसान उठाता रहा है। इसलिए किसी भी तरह इन दोनों में एका बना रहना
चाहिए। *आपने एक स्वदेशी लीग बनायी, जिसके ज़रिये सभी को साथ लेकर स्वदेशी आंदोलन की कयादत की, जो कि बहुत ही कामयाब रहा।*
🟤सरज़मीन-ए-हिन्द ब्रितानी दौर के *दीवानी क़ानून की दुनिया में बैरिस्टर सैय्यद हसन इमाम का कोई हमसफ़र नहीं पैदा कर सकी*. #Hindu_Law के सिलसिले में हसन इमाम को #Authority का दर्जा हासिल है. हिन्दुओं के क़ानून को सामने रखकर जब वो बहस करते तो शास्त्रों और वेदों के हवालों से ऐसे नुक्ते पेश करते कि बड़े-बड़े संस्कृत जानने वाले पंडित भी हैराण रह जाते थे....
🔴 *नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने हसन इमाम और चितरंजन दास जी को ब्रिटिश भारत का सबसे अच्छा बेरिस्टर बताया*। मगर अफसोस हसन इमाम स्वतन्त्र भारत नही देख सके और 19 अप्रैल 1933 को इस महान् बेरिस्टर, कानूनी विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी हसन इमाम का निधन हो गया।
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संदर्भ : 1)THE IMMORTALS
- Syed Naseer Ahamed
2) *लहू बोलता भी है*
- *सय्यद शहनवाज अहमद कादरी,कृष्ण कल्की*
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3) heritagetimes
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संकलन *अताउल्ला पठाण सर, टूनकी,संग्रामपूर बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726